जब से हुआ है प्रवेश मेरा इस शहर में तब से फंस गया हूं मैं एक चक्रव्यूह में। जब से हुआ है प्रवेश मेरा इस शहर में तब से फंस गया हूं मैं एक ...
इस कविता में मैंने वर्षा ऋतु का स्वागत अलग अलग लोगों द्वारा कैसे किया जाता है और अपने अंतरमन के विचा... इस कविता में मैंने वर्षा ऋतु का स्वागत अलग अलग लोगों द्वारा कैसे किया जाता है और...
राम मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाये। पर सीता की पीर को ना समझ पाये। राम मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाये। पर सीता की पीर को ना समझ पाये।
देखा है हमने भी हर ज़ख्मों फूँक कर मगर फ़िर भी! देखा है हमने भी हर ज़ख्मों फूँक कर मगर फ़िर भी!
अलग हो जाते हैं हम , अब इस रिश्ते से। अलग हो जाते हैं हम , अब इस रिश्ते से।
हर पल सुकून मिलेगा …. तुझे तेरी अपनी साँसो में …. हर पल सुकून मिलेगा …. तुझे तेरी अपनी साँसो में ….